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भारत-भारती काव्य | मैथिलीशरण गुप्त | Part-3 | Saurabh Pratapgarhi

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Published 30 Jun 2020

`भारत-भारती’ मैथिलीशरण गुप्त की सर्वाधिक प्रचलित कृति है। यह सर्वप्रथम संवत् १९६९ में प्रकाशित हुई थी और अब तक इसके पचासों संस्करण निकल चुके हैं । Yuva Hindustani On Social Media Facebook - https://Facebook.com/Yuvahindustanis Instagram - https://instagram.com/yuva.hindustani Youtube- /yuvahindustani एक समय था जब ‘भारत-भारती’ के पद्य प्रत्येक हिन्दी-भाषी के कण्ठ पर थे। गुप्त जी का प्रिय हरिगीतिका छन्द इस कृति में प्रयुक्त हुआ है। भारतीय राष्ट्रीय चेतना की जागृति में इस पुस्तक का हाथ रहा है। यह काव्य तीन खण्डों में विभक्त है : (१) ‘अतीत’ खण्ड, (२) ‘वर्तमान’ खण्ड, (३) ‘भविष्यत्’ खण्ड। ‘अतीत’ खण्ड में भारतवर्ष के प्राचीन गौरव का बड़े मनोयोग से बखान किया गया है। भारतीयों की वीरता, आदर्श, विद्या-बुद्धि, कला-कौशल, सभ्यता-संस्कृति, साहित्य-दर्शन, स्त्री-पुरुषों आदि का गुणगान किया गया है। ‘वर्तमान’ खण्ड में भारत की वर्तमान अधोगति का चित्रण है। इस खण्ड में कवि ने साहित्य, संगीत, धर्म, दर्शन आदि के क्षेत्र में होनेवाली अवनति, रईसों और उनके सपूतों के कारनामें, तीर्थ और मन्दिरों की दुर्गति तथा स्त्रियों की दुर्दशा आदि का अंकन किया है। ‘भविष्यत्’ खण्ड में भारतीयों को उद्बोधित किया गया है तथा देश के मंगल की कामना की गयी है। Tags -: भारत भारती मैथिलीशरण गुप्त, भारत भारती कविता, भारत भारती कविता की व्याख्या, भारत भारती कविता कोश, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, अतीत खण्ड भारत भारती, हिंदी साहित्य भारत भारती, bharat bharti by maithili sharan gupt, bharat bharti kavita ki vyakhya, bharat bharti kavita in hindi, ateet khand bharat bharti , bharat bharti for hindi sahitya, upsc hindi bharat bharti,

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